दूरियों का ग़म नहीं
अगर फ़ासले दिल में न हो…
नज़दीकियां बेकार है
अगर जगह दिल में ना हो…
अगर फ़ासले दिल में न हो…
नज़दीकियां बेकार है
अगर जगह दिल में ना हो…
वो क़रीब बहुत है,
मगर दूरियों के साथ…
हम दोनों जी तो रहे हैं!!
मगर मजबूरियों के साथ!!
मगर दूरियों के साथ…
हम दोनों जी तो रहे हैं!!
मगर मजबूरियों के साथ!!
फासलों का अहसास तब हुआ
जब मैने कहा…
ठीक हूँ और उसने मान लिया!
जब मैने कहा…
ठीक हूँ और उसने मान लिया!
रिश्ते कभी भी कुदरती मौत नहीं मरते…
इनको हमेशा इंसान ही क़त्ल करता है,
नफ़रत से…
नज़रअंदाजी से…
तो कभी गलतफ़हमी से…
इनको हमेशा इंसान ही क़त्ल करता है,
नफ़रत से…
नज़रअंदाजी से…
तो कभी गलतफ़हमी से…
किसी से सिर्फ इतना ही नाराज होना
कि उसे आपकी कमी का एहसास हो जाए…
लेकिन कभी इतना भी नाराज मत होना…
की वो आपको याद किए बिना जीना सीख जाए…
कि उसे आपकी कमी का एहसास हो जाए…
लेकिन कभी इतना भी नाराज मत होना…
की वो आपको याद किए बिना जीना सीख जाए…
खुद को इतना काबिल बनाओ
कि जिसके लिए आप तड़पे हो
वो आपकी…
एक झलक देखने के लिए तरस जाए…
कि जिसके लिए आप तड़पे हो
वो आपकी…
एक झलक देखने के लिए तरस जाए…
अगर निभाने की चाहत दोनों तरफ से हो,
तो कोई भी रिश्ता नाकाम नहीं होता साहब।
तो कोई भी रिश्ता नाकाम नहीं होता साहब।
खटखटाते रहिए…
दरवाजा एक दूसरे के मन का
मुलाकातें ना सही…
आहटें आती रहनी चाहिए…
दरवाजा एक दूसरे के मन का
मुलाकातें ना सही…
आहटें आती रहनी चाहिए…
संबंधों को निभाने के लिए समय निकालियें,
वरना जब आपके पास समय होगा,
तब तक शायद संबंध ही ना बचें.
वरना जब आपके पास समय होगा,
तब तक शायद संबंध ही ना बचें.
संबंध कभी भी सबसे जीतकर
नहीं निभाए जा सकते…
संबंधों की खुशहाली के लिए
झुकना होता है, सहना होता है,
दूसरों को जिताना होता है और
स्वयं हारना होता है!!
नहीं निभाए जा सकते…
संबंधों की खुशहाली के लिए
झुकना होता है, सहना होता है,
दूसरों को जिताना होता है और
स्वयं हारना होता है!!
मैंने सीमेंट से सीखा है,
कि
जोड़ने के लिए नर्म होना ज़रूरी है,
और
जोड़े रखने के लिए सख़्त,
कि
जोड़ने के लिए नर्म होना ज़रूरी है,
और
जोड़े रखने के लिए सख़्त,
पलट कर ना बोलने का मतलब
यह बिल्कुल भी नहीं की
जवाब नहीं है मेरे पास…
मगर कई बार रिश्ते को जिताने के लिए
खुद का खामोश रहकर
हार जाना बेहतर होता है!!
यह बिल्कुल भी नहीं की
जवाब नहीं है मेरे पास…
मगर कई बार रिश्ते को जिताने के लिए
खुद का खामोश रहकर
हार जाना बेहतर होता है!!
संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते।
संबंधों की प्रसन्नता के लिए झुकना होता है,
सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है।
सच्चे सम्बन्ध ही वास्तविक पूँजी होते है,
यही विषम परिस्थितियों में सहायक भी होते हैं।
संबंधों की प्रसन्नता के लिए झुकना होता है,
सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है।
सच्चे सम्बन्ध ही वास्तविक पूँजी होते है,
यही विषम परिस्थितियों में सहायक भी होते हैं।
दिमाग से बनाये हुये रिश्ते बाजार तक चलते हैं
और
दिल से बनाये रिश्ते शमशान तक चलते है।
और
दिल से बनाये रिश्ते शमशान तक चलते है।
जिस व्यक्ति को आपके
रिश्तों की कदर नहीं है
उसके साथ खड़े होने से
अकेले खड़े रहना अच्छा है
यह अभिमान नहीं स्वाभिमान है।
रिश्तों की कदर नहीं है
उसके साथ खड़े होने से
अकेले खड़े रहना अच्छा है
यह अभिमान नहीं स्वाभिमान है।
रिश्ता बारिश जैसा नहीं होना चाहिए
जो बरसकर खत्म हो जाए…
बल्कि
रिश्ता हवा की तरह होना चाहिये
जो खामोश हो मगर सदैव आस-पास हो।।
जो बरसकर खत्म हो जाए…
बल्कि
रिश्ता हवा की तरह होना चाहिये
जो खामोश हो मगर सदैव आस-पास हो।।
रिश्ता वो नहीं होता
जो दुनिया को दिखाया जाता है
रिश्ता वह होता है
जिसे दिल से निभाया जाता है
अपना कहने से कोई अपना नहीं होता
अपना वो होता है जिसे
दिल से अपनाया जाता है!
।
जो दुनिया को दिखाया जाता है
रिश्ता वह होता है
जिसे दिल से निभाया जाता है
अपना कहने से कोई अपना नहीं होता
अपना वो होता है जिसे
दिल से अपनाया जाता है!
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